धैर्य दिवस

समस्त जगत धैर्यपूर्ण है । अपने आसपास एक नज़रभर कर देखिये: हर एक चीज़ अपनी गति से चल रही है: सूरज का उगना और ढलना, मौसमों का बदलना, बीज का अंकुरित होना, अमावस्या का होना, पूर्णिमा का होना, कलियों का फूलों में परिवर्तित होना, बच्चे का भ्रूण में खिलना, सब कुछ कितना धीरे-धीरे होता है! इसीलिए प्रकृति इतनी शांत और आनंद से भरी हुई है । हम क्यों इतने अशांत है? क्योंकि हम अप्राकृतिक जीवन जीते है । जो जितना अधीर होगा वह उतना अशांत होगा, और जो जितना अशांत होगा वह अपने आपको प्रक्रति से उतना दूर पाएगा । तो धैर्य को धारण करें और आप प्रकृति से एकलय हो जाएंगे ।